अर्थव्यवस्था का दुश्मन साइकिल चालक

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आश्चर्यजनक लेकिन सत्य ।          संजय ठकराल, यूरो एक्जिम बैंक के सीईओ, अर्थ चक्र कैसे चलता है,  इसका विश्लेषण करते हुए अर्थशास्त्रियों के बीच कहते हैं-
एक साईकिल चलाने वाला देश की अर्थव्यवस्था के लिये किस प्रकार घातक है ।
 -न तो वह कार खरीदता है, न ही कार के लिए लोन ही लेता है।
- न ही वह इनस्योरैन्स लेता है। -न ही वह पैट्रोल खरीदता है। -न ही वह कार की सर्विस कराता है ,न ही मरम्मत। -न ही वह पार्किंग का उपयोग करता है। -
न ही उसे मोटापा सताता है। -जी हाँ---स्वस्थ् आदमी के कारण अर्थव्यवस्था नहीं चलती।
न तो वह दवा खरीदेगा ,न ही हास्पिटल और डॉक्टर का मुँह देखेगा । -ऐसे लोग देश की GDP में कोई योगदान नहीं करते।

जबकि एक मैकडोनाल्ड का रैस्त्रराँ कम से कम 30लोगों के लिये रोजगार सृजन करता है। 10 हृदय रोग विशेषज्ञ,10 दाँतों के डॉक्टर,10 वजन घटाने वाले विशेषज्ञ और इसके अलावा उस रैस्त्रराँ में काम करने वाले कर्मचारी।

आप क्या चुनेंगे  एक साईकिल वाला या एक मैकडॉनल्ड्स ।

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Choice is yours! Ride a Bicycle or eat at McDonald's!!