(हे भाई!) ओस से भीगी रात में (आकाश में) तारे चम-चमाते हुए दिखते हैं (वैसे ही, परमात्मा के प्रेम में भीगे हुए हृदय वाले मनुष्यों के चित्त-आकाश में सुंदर आत्मिक गुण झिलमिलाते हैं)। मेरे राम के प्यारे संत-जन (नाम जपने की इनायत से माया के हमलों से) सुचेत रहते हैं। परमात्मा के प्यारे संत-जन सदा ही सुचेत रहते हैं, हर समय परमात्मा का नाम स्मरण करते रहते हैं।