एक माचिस की तीली
एक घी का लोटा
लकड़ियों के ढेर पे
कुछ घण्टे में राख.....
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात।
एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया
अपनी सारी ज़िन्दगी
परिवार के नाम कर गया।
कहीं रोने की सुगबुगाहट हो रही थी
तो कहीं फुसफुसाहट हो रही थी।
....अरे जल्दी ले जाओ जलाने
कौन रोयेगा सारी रात...
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात।
मरने के बाद नीचे देखा
नज़ारे नज़र आ रहे थे,
मेरी मौत पे कुछ लोग
ज़बरदस्त रो रहे थे
और कुछ लोग ज़बरदस्ती
रो रहे थे।
नहीं रहा..नहीं रहा
चार दिन करेंगे बात...
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात।
बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा
सामने अगरबत्ती जलायेगा
खुश्बुदार फूलों की माला होगी
अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धान्जली होगी।..
बाद में उस तस्वीर पे झाले भी कौन करेगा साफ़...
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात।
एक घी का लोटा
लकड़ियों के ढेर पे
कुछ घण्टे में राख.....
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात।
एक बूढ़ा बाप शाम को मर गया
अपनी सारी ज़िन्दगी
परिवार के नाम कर गया।
कहीं रोने की सुगबुगाहट हो रही थी
तो कहीं फुसफुसाहट हो रही थी।
....अरे जल्दी ले जाओ जलाने
कौन रोयेगा सारी रात...
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात।
मरने के बाद नीचे देखा
नज़ारे नज़र आ रहे थे,
मेरी मौत पे कुछ लोग
ज़बरदस्त रो रहे थे
और कुछ लोग ज़बरदस्ती
रो रहे थे।
नहीं रहा..नहीं रहा
चार दिन करेंगे बात...
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात।
बेटा अच्छी तस्वीर बनवायेगा
सामने अगरबत्ती जलायेगा
खुश्बुदार फूलों की माला होगी
अखबार में अश्रुपूरित श्रद्धान्जली होगी।..
बाद में उस तस्वीर पे झाले भी कौन करेगा साफ़...
बस इतनी-सी है
आदमी की औकात।