श्री कृष्ण जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ



सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद दुःखभागभवेत की मंगलमयी कामना के साथ आपको सपरिवार श्री कृष्ण जन्मोत्सव की हार्दिक शुभकामनाएँ
                        🙏

बेटों के दीदार होंगे

ਸੰਜੋਗੁ ਵਿਜੋਗੁ ਦੁਇ ਕਾਰ ਚਲਾਵਹਿ ਲੇਖੇ ਆਵਹਿ ਭਾਗ ॥

Union with Him, and separation from Him, come by His Will. We come to receive what is written in our destiny.

Bad news: Scientists think a coronavirus vaccine might not work

The earliest estimates are that a successful, viable coronavirus vaccine could make it to the finish line and be ready for introduction into the general population by the end of this year.

For the nearly 19 million people around the world who've contracted COVID-19 thus far during the coronavirus pandemic, as well as the millions more taking so many precautions to keep themselves and their loved ones safe from the COVID-19 virus, a coronavirus vaccine can't come fast enough. Indeed, the promise of ending this thing, and of getting to whatever's on the other side of the pandemic, can be summed in one word for those people and for all of us, really: A vaccine.

Change wouldn't happen overnight in terms of an impact on the coronavirus pandemic, however. Getting everyone vaccinated will represent a major logistical challenge. Even so, there are concerns that a coronavirus vaccine won't even work or will provide little protection to at least one group of people — the obese.



ਅੱਜ ਦਾ ਫ਼ਰਮਾਨ: ਅੰਗ #੩੮੧ | Today's extract from Sri Guru Granth Sahib ji from Page #381

ਹੇ ਭਾਈ! ਜੇਹੜਾ ਮਨੁੱਖ (ਨਿਰਾ ਜ਼ਬਾਨੀ ਜ਼ਬਾਨੀ) ਆਖਦਾ ਹੈ ਕਿ ਮੈਂ (ਆਤਮਕ ਜੀਵਨ ਦੇ ਭੇਤ ਨੂੰ) ਸਮਝ ਲਿਆ ਹੈ ਉਹ ਅਜੇ ਮੂਰਖ ਹੈ, ਜਿਸ ਨੇ (ਸਚਮੁਚ ਆਤਮਕ ਜੀਵਨ ਨੂੰ ਨਾਮ-ਰਸ ਨੂੰ) ਸਮਝ ਲਿਆ ਹੈ ਉਹ ਕਦੇ ਗੁੱਝਾ ਨਹੀਂ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ। ਹੇ ਨਾਨਕ! ਆਖ– ਜਿਸ ਨੂੰ ਗੁਰੂ ਨੇ ਆਤਮਕ ਜੀਵਨ ਦੇਣ ਵਾਲਾ ਨਾਮ-ਜਲ ਪਿਲਾ ਦਿੱਤਾ ਹੈ ਉਹ ਇਸ ਨਾਮ-ਜਲ ਦਾ ਸੁਆਦ ਮਾਣ ਮਾਣ ਕੇ ਸਦਾ ਖਿੜਿਆ ਰਹਿੰਦਾ ਹੈ।



हे भाई! जो मनुष्य (निरा ज़बानी ज़बानी) कहता है कि मैंने (आत्मिक जीवन के भेद को) समझ लिया है वह अभी मूर्ख है, जिसने (सचमुच आत्मिक जीवन को नाम-रस को) समझ लिया है वह कभी छुपा नहीं रहता है। हे नानक! कह: जिसको गुरु ने आत्मिक जीवन देने वाला नाम-जल पिला दिया है वह इस नाम-जल का स्वाद ले ले के सदा खिला रहता है।

अर्थव्यवस्था का दुश्मन साइकिल चालक

😆😆😆😆😆😆

आश्चर्यजनक लेकिन सत्य ।          संजय ठकराल, यूरो एक्जिम बैंक के सीईओ, अर्थ चक्र कैसे चलता है,  इसका विश्लेषण करते हुए अर्थशास्त्रियों के बीच कहते हैं-
एक साईकिल चलाने वाला देश की अर्थव्यवस्था के लिये किस प्रकार घातक है ।
 -न तो वह कार खरीदता है, न ही कार के लिए लोन ही लेता है।
- न ही वह इनस्योरैन्स लेता है। -न ही वह पैट्रोल खरीदता है। -न ही वह कार की सर्विस कराता है ,न ही मरम्मत। -न ही वह पार्किंग का उपयोग करता है। -
न ही उसे मोटापा सताता है। -जी हाँ---स्वस्थ् आदमी के कारण अर्थव्यवस्था नहीं चलती।
न तो वह दवा खरीदेगा ,न ही हास्पिटल और डॉक्टर का मुँह देखेगा । -ऐसे लोग देश की GDP में कोई योगदान नहीं करते।

जबकि एक मैकडोनाल्ड का रैस्त्रराँ कम से कम 30लोगों के लिये रोजगार सृजन करता है। 10 हृदय रोग विशेषज्ञ,10 दाँतों के डॉक्टर,10 वजन घटाने वाले विशेषज्ञ और इसके अलावा उस रैस्त्रराँ में काम करने वाले कर्मचारी।

आप क्या चुनेंगे  एक साईकिल वाला या एक मैकडॉनल्ड्स ।

🤣🤣😜😜


Choice is yours! Ride a Bicycle or eat at McDonald's!!

Drinks & Food are Almost FREE in this New Delhi's Bar


 

ਅੱਜ ਦਾ ਫ਼ਰਮਾਨ: ਅੰਗ #੪੦੧ | Today's extract from Sri Guru Granth Sahib ji from Page #401

(ਹੇ ਭਾਈ! ਮੇਰੇ ਅੰਦਰ ਚੰਗੇ ਮੰਦੇ ਸਗਨਾਂ ਦਾ ਸਹਮ ਭੀ ਨਹੀਂ ਰਹਿ ਗਿਆ) ਚੰਗੇ ਮੰਦੇ ਸਗਨਾਂ ਦੇ ਸਹਮ ਉਸ ਮਨੁੱਖ ਨੂੰ ਚੰਬੜਦੇ ਹਨ ਜਿਸ ਦੇ ਚਿੱਤ ਵਿਚ ਪਰਮਾਤਮਾ ਨਹੀਂ ਵੱਸਦਾ। ਪਰ ਜੇਹੜਾ ਮਨੁੱਖ ਪ੍ਰਭੂ (ਦੀ ਯਾਦ) ਵਿਚ (ਜੁੜ ਕੇ) ਹਰਿ-ਪ੍ਰਭੂ ਨੂੰ ਪਿਆਰਾ ਲੱਗਣ ਲੱਗ ਪੈਂਦਾ ਹੈ ਜਮ-ਦੂਤ ਭੀ ਉਸ ਦੇ ਨੇੜੇ ਨਹੀਂ ਢੁਕਦਾ।



(हे भाई! मेरे अंदर अच्छे-बुरे शगुनों का सहिम भी नहीं रह गया) अच्छे-बुरे शगुनों के सहम उस मनुष्य को चिपकते हैं जिसके चित्त में परमात्मा नहीं बसता। पर, जो मनुष्य प्रभु (की याद) में (जुड़ के) हरि-प्रभु को प्यारा लगने लग पड़ता है जमदूत भी उसके नजदीक नहीं फटकते।